
जैन समाज ने सामुहिक क्षमा मांगी
तपस्वियों का वरघोडा (जुलूस) निकला




बड़ौद. चातुर्मास अंतर्गत विराजमान साध्वीवर्या परम पूज्य ब्राह्मी-सुंदरी श्रीजी महाराज साहब के सानिध्य में जैन समाज द्वारा एक दूसरे से हाथ जोडकर गत वर्ष में हुयी भुलों के लिए मन, वचन, काया से क्षमा मांगी.
प्रातः आठ बजे नवकारसी का आयोजन लाभार्थी त्रिकुट भाई पारसचंदजी चौधरी परिवार द्वारा लिया गया. श्री विमलनाथ जिनालय से चैत्र परिपाटी (जुलूस) निकला, जिसमें 85 से अधिक तपस्वी रथ में बैठकर जिनशासन की शोभावृद्धि की. रथयात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुयी श्री आनंद चंद्र जैन आराधना पहुंची.
जहाँ पर पूज्य श्री ने प्रवचन के माध्यम से बताया कि जीवन पर्यंत धर्म करते है किंतु पर्युषण में संवत्सरी प्रतिक्रमण पूर्व क्षमा याचना नहीं करते है तो आने वाले भव बिगड जाते है.
श्री जैन श्ववेतांबर मुर्ति पूजक संघ के द्वारा श्री कंठाभरण तप के लाभार्थी श्री ज्ञानचंदजी बसंतीलालजी चौधरी का बहुमान किया गया.
ट्रस्टी ललित जै. राजावत ने बताया कि श्री आनंद चंद्र जैन आराधना भवन की व्यवस्था देखने वाले भाई कैलाश मालवीय को परम पूज्य साध्वी श्री ब्राह्मी-सुंदरी श्रीजी महाराज साहब ने तप की प्रेरणा दी, जिसके चलते श्री मालवीय कठोर नियमों का पालन करते हुए अठ्ठाई तप किया. पूर्व से तपस्वी कैलाश मालवीय द्वारा आयंबिल एवं उपवास की कयी बार तपस्या की, समाज जनों ने शाल एवं श्रीफल से बहुमान किया. संचालन संतोष जैन ने किया. नवरत्न परिवार द्वारा सुंदर व्यवस्था की गयी.









